desh ke bahaeur.. veer savarkar - 1 in Hindi Motivational Stories by Mewada Hasmukh books and stories PDF | देश के बहादुर..वीर सावरकर - 1

Featured Books
Categories
Share

देश के बहादुर..वीर सावरकर - 1


लिख रहा हूं मै अंजाम,
जिसका कल आगाज आएगा...
मेरे लहू का हर एक कतरा,
इन्कलाब लाएगा...
में रहूं या न रहूं पर,
ये वादा हे मेरा तुझसे...
मेरे बाद वतन पर....
मरने वालो का सैलाब आएगा.

मातृभूमि को गुलामी की ज़ंजीरों से आजाद करने के लिए कई वीरो ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए।

अपना तन,मन,धन परिवार आदि को त्याग कर दिया।

इतने से भी मन ना भरा तो आत्म चेतना की आवाज़ सुनी ओर खुद राष्ट्र मुक्ति हेतु वेदी में स्वाहा हो गए।
 
हम कल्पना भी नहीं कर सकते..
की क्या उनको हमारी तरह लाइफ जीने का अधिकार नहीं होगा।

वो नहीं चाहते होंगे....
हम भी अपने सपनों से आनेवाला भविष्य सजाए ओर उसकी पूर्ति हेतु अपना योगदान दे...

वो नहीं चाहते होंगे।
की अपना भी घर परिवार हो,अपने भी बीवी बच्चे हो,
अपन भी हर व्यक्ति की तरह मोज मस्ती करे...

क्या वो अलग मिट्टी के थे,
क्या उनका भी दिल किसी के लिए नहीं धड़का होगा।

मित्रो।
मातृभूमि को स्वतंत्र कराने जो क्रांति के रास्ते चले 
वो सब नवयुवक ही थे..

उन्होंने भी प्रेम किया....
पर उन्हों के प्रेम में....इकरार में...
सिर्फ वफा ही मिली...
मातृभूमि की चाहत हमें आसमा से सितारे दिलाती हैं।

ऐसे ही हमारे अनमोल रतन जो एक पुष्प कि भ्रांति खिलने से पहले सुक गए...
लेकिन एक परिपक्व फूल भी खुशबू नहीं दे पाता...
उनसे कई गुना ज्यादा ओर आनेवाली कई सदियों तक महकते रहने का वादा करते हुए अग्निपथ पर मुस्कुराते चल दिए....

आज के पावन दिन पर में प्रचंड राष्ट्रवादी महापुरुषों का कुछ कुछ साराश आपके सामने
मातृ भारती
के माध्यम से पेश करने की अविरत कोशिश करने का जटिल प्रयास करुगा....

अब पूरे देश में राष्ट्र भावना ओर राष्ट्र चेतना जग उठी है..

पुराने इतिहास का सच है वह सामने आ रहा है..

हमारा भी प्रयास रहे हम सच को स्वीकार करते हुए अपने राष्ट्र के सच्चे इतिहास का स्वीकार करे।
ओर हमारे भारतीय होने पर गर्व करे।

मेरा प्रयास रहेगा स्टेप टू स्टेप हर महान व्यक्ति का जीवन अंश यहां रख सकु।

आज में लेकर आया हु

वीर विनायक दामोदर सावरकर !!

पार्ट १...

सावरकर नाम मात्र नहीं  एक मंत्र है। आज भी कई राष्ट्रवादी मित्रो के सामने उनका नाम का जिक्र किया जाता हैं  तब दिल में राष्ट्र वाद की चेतना प्रेरणा प्रगट होती हैं 
भारत में जब बड़े बड़े क्रांतिकरियों का नाम लिया जाता हैं तब सबसे पहले वीर सावरकर जी को याद किया जाता है

वीर सावरकर समाजसेवक साहित्यकार कवि क्रांतिकारी थे

२८ मई १८८३ 
वीर सावरकर जी का जन्म..
महाराष्ट्र के नासिक के पास एक छोटे गाव भगुर में हुआ।

पिता दामोदर जी और माता राधा बाई के दूसरे संतान थे
बड़े भैया गणेश सावरकर, छोटे नारायण सावरकर ओर छोटी बहन मेना...
कुल मिलाकर 4 भाई बहन का परिवार था।
ओर वो भी पूरा क्रांतिकारी परिवार...

9 साल की उम्र में माता जी की मृत्यु हो चुकी..
उसके बाद 7 साल बाद पिताजी भी छोड़ चल दिए
सारी जिममेदारियां गणेश सावरकर जी पर आ गई
फिर भी उन्होंने विनायक को पढ़ाया....

सावरकर जी को बचपन में अपनी माता से आध्यात्मिक प्रवृत्ति का वारसा मिला था।अपने घर मंदिर में दुर्गा माता की पूजा वो ही करते।
बचपन में अपनी माता राधाबई से सुनी रामायण,महाभारत और शिवाजी,महाराणा प्रताप,गुरु गोविंद सिह ओर ऐतिहासिक महापुरुषों कहानियां ने विनायक जी को निडर बनाया।

11 साल की उम्र में उन्होंने लिखी कविताएं अक्षर समाचार पत्रो में छपती रहती थी

स्कूल टाइम उन्होंने वानर सेना नामक एक ग्रुप बनाया था। जिसे मित्र मेला के नाम से भी जाना गया...
जो सेवाकिय कार्य में अग्रेशर रहता था।
प्लेग टाइम इस वानर सेना ने खूब सहारनिय काम किया था
साथ में भारत के सभी हिन्दू त्योहारों को जोर शोर से सेलिब्रेट करने का प्रचार पसार इसी मित्र मेला से हुआ....

१९०१ में ब्रिटेन महारानी विक्टोरिया की मृत्यु पर नासिक में हुई शोक सभा का उन्हों ने ज़ोर से विरोध किया।
बाद में,
१९०२ में नासिक फरग्युसन कॉलेज आए
यहां भी मित्र मेला से मित्रो की टोली बनाई गई
ओर ७ अक्टूबर १९०५  ब्रिटिश विरोध दर्शाते हुए ब्रिटिश कपड़ों ओर ब्रिटिश चीज वस्तुओं की होली जलाई गई।
इसमें वीर सावरकर ने पूरी तरह से भाग लिया
इसी समय उन्होकी मुलाकात 
लोकमान्य तिलक से हुई
ओर अभिनव भारत नामक संस्था की नीव रखी गई
लोकमान्य तिलक उन्होस इतने प्रभावित हुए कि सावरकर जी का स्वदेशी अभियान का आर्टिकल अपने मुखपत्र केसरी में प्रगट किया और सावरकर को शिवाजी की उपमा दी गई
जबकि साउथ अफ्रीका में गांधीजी ने सावरकर के इस कार्य को इंडियन एपोनियल पत्र निंदनीय बताया। ओर वहीं गांधीजी १५ साल बाद १९२१ में सावरकर जी के रास्ते चले ओर मुंबई में ब्रिटिश कपड़ों की होली की....

सावरकर जी का अदम्य साहस और राष्ट्र प्रति उत्साह देखकर 
१९०५ में श्यामजी कृष्ण वर्मा द्वारा स्कॉलरशिप अंतर्गत लंदन पढ़ने भेजा गया।
उन्होंने कायदा की बैरिस्टर की पढ़ाई पूर्ण की। लेकिन ब्रिटेन के राजा के प्रति वफादार की शपथ लेने से इन्कार किया ओर वह पद छोड़ दिया।,,इसी कारण कभी उनको बैरिस्टर उपाधि का पत्र नहीं दिया गया।


वहा जाकर भी उन्होंने राष्ट्र के लिए नव युवा संगठित किए
ओर सब में राष्ट्र भावना जगाई

लंदन में वो लाला हरदयाल जी के संपर्क में आए, 
लंदन में उन्होंने महज डेढ़ साल में  एक हजार  से ज्यादा बुक्स पढ ली
ओर भारत के इतिहास लिखने के साक्षी बने
उन्होंने मंथन किया और हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि सभी क्रांतिकारी ओ के लिए भागवत गीता सी साबित हुई बुक लिख ली..

The Indian war of Independence 1857

ओर १८५७ की विप्लव की लड़ाई सिर्फ सिपाई ओ का विद्रोह नहीं बल्कि भारत का आजादी के लिए प्रथम वॉर था ऐसा साबित कर दिया
ओर उन्होंने कई तथ्यों के साथ बुक लिखी 
जिसका आर्टिकल ब्रिटेन में कुछ न्यूज पेपर में छपे।
अंग्रेजो को भड़क हो गई अगर ये बुक इंडिया में पब्लिश हुई तो लोग जाग जायेगे
ओर लोग में चेतना आएगी
राष्ट्र वाद जागेगा तो फिर हमें भारत से भाग ना पड़ेगा

इसी बुक को ब्रिटेन संसद ने पब्लिश होने  से पहले ही प्रतिबंध लगा दिया।
इसी के चलते 
सावरकर अंग्रेजो की नजर में। 
आ गए अंग्रेज़ तब से सावरकर जी को फसाने के फिराक में रहते

उन्हों ने सावरकर की ये बुक बेन कर दी।
आप सोच सकते है कि बुक पब्लिश होते हुए पहले बेन हो गई थी
क्या लिखा गया होगा।

फिर भी सावरकर जी ने 3 हस्तप्रत कॉपी मराठी में लिखी 
जिसे अनुवाद ओर प्रसार करने 1 कॉपी अपने भैया गणेश सावरकर जी को भेजा गया
1 कॉपी अपने मित्र को दी गई
ओर 1 कॉपी फ्रांस मैडम भीकाजी कामा को भेजी गई

मैडम भीकाजी कामा ने इस कॉपी में पूरा धन, मन लगाया
उसका सभी भाषा में अनुवाद किया गया
प्रथम बुक हॉलैंड से पब्लिश की गई...बाद में
फ्रांस, नेधरलेंड,जर्मनी आदि देशों में ये पब्लिश हुई

काफी लोग प्रभावित हुए

यहां भारत में भी उसी बुक का छुपे छुपाए प्रचार हुआ।

उस बुक का द्वितीय आवृत्ति  का जिम्मा लाला हरदयाल ने उठाया

तृतीय भगत सिंह ने भारत में प्रादेशिक भाषा के साथ पब्लिश किया।  ओर पंजाबी में अनुवाद किया ...

सुभाष चन्द्र बोस ने चतुर्थ श्रेणी में पब्लिश करवाया।
ओर प्रादेशिक भाषा ओ में भी प्रिंट हुई...

ये बुक मानो क्रांतिकारियों के लिए भागवत गीता साबित हुई
क्रमशः......पार्ट २....

सभी का आभार..

में कौन होता हूं...
इन हुतात्मा की जीवनी सारांश लिखने वाला...
में कौन होता हूं....
इन अमर बलिदानी शहीदों से आपको अवगत कराने वाला.....

ये सिर्फ मेरे दिल ओर उन मातृभूमि पर पुण्य आहुति देने वाले प्रचंड राष्ट्रवादी महापुरुषों के दिल का 
प्यार है.....
जो आपस में बांट रहा हूं....


वन्दे मातरम्
भारत माता की जय.!!!!
हसमुख मेवाड़ा